इस लेख में हम आपको Program Your Mind के ऐसे दो मोस्ट पावरफुल स्टेप्स बताने वाले हैं जिससे आपका दिमाग आने वाले 21 दिनों में हंड्रेड परसेंट गारंटीड री प्रोग्राम हो जाएगा, सक्सेस के लिए लेकिन कुछ स्मॉल चेंज आपको पहले दिन से ही यानी आज से दिखने लगेंगे क्योंकि हम हवा में बातें नहीं कर रहे हैं बल्कि यह ब्रायन को रिप्रोग्राम करने के तरीके हमने खुद ने इस्तेमाल किए हुए हैं तभी हम आपको अपने खुद के परसल एक्सपीरियंस से बता रहे हैं और इन दो स्टेप्स में से पहले स्टेप है।
Program Your Mind | Power Of Subconscious Mind In Hindi |
Right Self Talk Can Change Your Behavior
जैसा हम सोचते हैं वैसा हम बन जाते हैं इसमें क्या अच्छा है क्या बुरा इससे फर्क नहीं पड़ता लेकिन यह बात हमेशा याद रखना कि जब भी आप खुद से बात कर रहे होते हो तो आपके अंदर कोई होता है जो यह बातें सुन रहा होता है जो क्या कितना सही है और कितना गलत इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता उसके लिए वह सारी बातें सच होती है जो भी आप बोलते हो वह उसे पर यकीन कर लेता है।
और आपकी बात सुनने वाला यह और कोई नहीं बल्कि आप कहीं इनर सेल्फ है यानी आपका सबकॉन्शियस माइंड होता है जो इन्हीं बातों से खुद को रोज प्रोग्राम करता जाता है जो इन्हें न्यूरो पेटर्न्स का जाल आपके दिमाग में बनता रहता है अब यह आप पर डिपेंड करता है कि आप अपने दिमाग में रोज अच्छा जाल बना रहे हो या बुरा न्यूरो साइंटिस्ट डॉक्टर जो डिस्पेंसर कहते हैं 35 की age तक आते-आते हम जो कुछ भी होते हैं उसका 95% यही सबकॉन्शियस प्रोग्राम होता है यह सब कांशीउस प्रोग्राम आपके बिलीफएस बिहेवियर इमोशनल रिएक्शंस डेली हैबिट्स और एटीट्यूड का एक मिक्सर होता है जो आपको एक सर्टेन एक्शन लेने के लिए मजबूर करता है।
हम कोई भी एक्शन इसलिए लेते हैं क्योंकि हम बिलीव करते हैं कि जो हम कर रहे हैं वह सही है और जो एक्शंस लेना आप अवॉइड करते हो वह वही एक्शंस होते हैं जिन पर आप पूरी तरह से बिलीव नहीं कर पाते अगर आप यह बिलीव नहीं करोगे कि आप खुद को बदल सकते हो आप अपने माइंडसेट को रिप्रोग्राम करके रिसेट नहीं कर सकते तो आप क्या इस दुनिया की कोई ताकत आपको बदल नहीं सकती।
और खुद पर यह बिलीव न करने का सबसे बड़ा रीजन है सेल्फ टोक जो बातें आप खुद से मन ही मन करते हो और खुद से कहते हो जिसका आपको ध्यान नहीं रहता लेकिन हम सभी हर सेकंड खुद से कुछ ना कुछ अपने अंदर बोल रहे होते हैं अगर आप इसके बारे में ध्यान से सोचो तो आपके थॉट्स और कुछ नहीं बल्कि कुछ शब्द यानी शब्द है जिससे आप खुद के इनर सेल्फ के साथ कम्युनिकेट और बात करने के लिए उसे करते हो।
फॉर एग्जांपल मां को किसी ने एक ब्रांड न्यू कर खरीदी और अगले दिन उसका एक्सीडेंट हो गया वह नए की नई कर बहुत ज्यादा टूट गई तो अब देखो यहां सेल्फ टोक कैसे काम करता है वह आदमी अगर खुद से रहेगा मेरी तो किस्मत ही खराब है बहुत भारी नुकसान हो गया ऐसा हमेशा मेरे साथ ही क्यों होता है यार यह सब बोलकर उसे बहुत बुरा लग रहा होगा और साथ ही गुस्सा भी आ रहा होगा।
अब जब जब वह आदमी अपनी उसे टूटी हुई कर को देखेगा उसे यही सेम फीलिंगआएगी उसे बुरा लगेगा और गुस्सा आएगा उसका मूड खराब रहेगा। जिसका असर उसकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ पर भी दिखेगा क्योंकि उसने खुद से रोज ऐसी बातें कर करके एक गलत माइंड सेट प्रोग्राम कर लिया है।
वहीं अगर यह आदमी खुद से नेगेटिव या पॉजिटिव नहीं बल्कि राइट सेल्फ टोक करता है और एक्सीडेंट होने के बाद खुद से यह कहता है अच्छा हुआ मैं बच गया मुझे कुछ नहीं हुआ मैं कितना लकी हूं इस एक्सीडेंट में मेरी जान भी जा सकती थी थैंक यू भगवान मेरी जान बच गई या और भी ज्यादा नुकसान नहीं हुआ मेरी फैमिली का क्या होता खुद से बस यह बात बोलने से जब उसे अपनी वह टूटी हुई ब्रांड न्यू कर दिखाई देगी या वह अपने एक्सीडेंट के बारे में सोचेगा तो उसे यही सेम फीलिंग बार-बार आएगी और वह अपनी लाइफ को एक ऑप्टिमिस्टिक और सही व्यू प्वाइंट से देखेगी।
जब भी वह अपना काम करेगा या पर्सनल रिलेशनशिप में डील करेगा तो उसका हीऑप्टिमिस्टिक और सही माइंडसेट उसकी बहुत मदद करेगा क्योंकि उसने रोज सही सोच सोच के सही माइंडसेट प्रोग्राम कर लिया है और ऐसे माइंडसेट से हमारा यह मतलब नहीं है कि पॉजिटिव सोचो और पॉजिटिव बोलो नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है बल्कि यह हमारा मतलब है राइट सेल्फ टोक और एक ऑप्टिमिस्टिक सेल्फ टोक।
तो इसलिए शुरुआती इस बात पर बहुत ज्यादा ध्यान देने से करो कि आप हर पल हर सेकंड और हर दिन खुद से मन ही मन में क्या बातें बोलते हो खुद से क्या सेल्फ टोक करते हो प्लीज यह करते देखना आपका माइंडसेट रिप्रोग्राम होने लगेगा हां माना आपको इस पर पूरी तरह बिलीव करने में कुछ दिन लगेंगे लेकिन आपका मन पहले दिन से ही रे प्रोग्राम होने लगेगा और रिजल्ट आपको जल्दी दिखने में लगेंगे लेकिन लेकिन लेकिन इसी के साथ जो सबसे ज्यादा जरूरी है स्टेप टू
Hard Reset Your Brain
अपने ब्रायन को हार्ड रिसेट करने का मतलब है अपने बिलीफएस को चेंज करना ताकि आप अपने एक्शंस बदल पाओ और अपने एक्शन से अपने फ्यूचर को बदल पाओ लेकिन यह करना एक बटन दबाने जितना आसान नहीं होने वाला लेकिन मुश्किल भी नहीं है अपने ब्रायन को रिसेट करना एक पूरा प्रोसेस है जहां आप एक-एक करके अपने दोनों सबकॉन्शियस और कॉन्शियस माइंड की क्लीनिंग करोगे सबसे पहले बारी आएगी आपके सब कॉन्शियस माइंड की जहां आपको बस यह एक काम करना है।
Phase-1. Cleanse Your Mind
अगले 21 दिनों तक आपको अपने इयरफोंस लगते हैं और The Power of Your Subconscious Mind by Joseph Murphy इस बुक की ऑडियो बुक को रोज दिन के किसी भी समय सिर्फ 30 मिनट सुनना है रोज जब तक पूरी ऑडियो बुक खत्म नहीं हो जाती आपको बुक को खरीद के पढ़ने की जरूरत नहीं है इसकी बुक समरी भी नहीं देखनी सिर्फ और सिर्फ इस पूरी ऑडियो बुक को रोज आराम से 30 मिनट सुनना है।
और इस बुक की पूरी ऑडियो बुक फ्री में आपको इंग्लिश और हिंदी में दोनों में ही यूट्यूब में फ्री में मिल जाएगी हमें पता है इस सुनने में बहुत अजीब लग रहा होगा लेकिन यकीन मानिए यह हम आपको अपने पर्सनल एक्सपीरियंस से बता रहे हैं अपने सबकॉन्शियस माइंड के बारे में जानने के लिए जोसेफ मर्फी की यह बुक सब कॉन्शियस माइंड पर हिस्ट्री में लिखी हुई अब तक की सबसे बेस्ट बुक है।
अब इसकी ऑडियो बुक सुनने के दो परपज है सबसे पहले इस बुक को सुनते हुए आप एक चीज की प्रैक्टिस कर रहे होंगे जो इस वक्त आपके और आपकी ड्रीम लाइफ के बीच सबसे बड़ा कांटा बनकर खड़ा है वह फॉक्स और सही माइंडसेट आपको हर दिन 30 मिनट इस ऑडियो बुक को सुनना है और ध्यान रहे जब आप इसे सुन रहे हो तो आपको डिस्ट्रक्ट करने के लिए और कुछ ना हो आपको इससे passively भी नहीं सुना बल्कि एक्टिवली सुनना है।
ऐसे टाइम पर जब आपका मन एकदम खाली हो जब आप सुकून से कहीं बैठे हो या वॉक कर रहे हो आपके डेली रूटीन में ऐसी कोई ना कोई एक्टिविटीज जरूर होगी जिसके साथ आप इस ऑडियो बुक को फुल फॉक्स के साथ सुन पाओगे इससे आपका ब्रायन भी प्रोग्राम भी होगा और आपका फॉक्स भी बढ़ेगा और सबसे इंपॉर्टेंट यह ऑडियो बुक सुनते हुए आप एक मेडिटेटिव स्टेट में चले जाओगे अपने मन के ऑन डाइमेंशन के बारे में deeply जानोगे।
जो आपसे अब तक छुपी हुई थी हमारा मन इसी तरह काम करता है आप इसको जो भी बता दोगे यह उस रिलेटेड थॉट्स डेवलप करने लगता है और जब आप अगले 21 दिनों में अपने मन को सही डाटा फीड करोगे अपने सबकॉन्शियस माइंड की पावर के बारे में जानोगे तो यह उसी के अकॉर्डिंग सोचेगा कि ऐसा ही है जैसे किसी कंप्यूटर में पुराने वायरस से भरे सॉफ्टवेयर कोडिलीट करके क्लीन और न्यू सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना जो सही और बहुत ही ज्यादा पावरफुल है।
Phase -2. Take Micro Actions To Build Solid Beliefs
जब आप कोई एक्शन लेते हो तो आपके मन में उसे रिलेटेड एक बिलीफ रजिस्टर हो जाता है अगर आप कभी जिम नहीं गए और एक दिन जाकर आप बहुत हैवीवेट उठाने लग जाओ तो आपके मन में यह बिलीफ रजिस्टर हो जाएगा कि जिम इस हार्ड आई एम नॉट स्ट्रांग इनफ अब जब तक आपका यह बिलीव बदलेगा नहीं तब तक आप कभी जिम नहीं जा पाओगे ऐसे ही आपके जो भी बिलीफ है वह किसी न किसी क्रिया के रिएक्शन की वजह से बने हैं।
अपने लिए नए और सॉलिड बिलीव्स बिल्ड करने के लिए आपको भी सॉलिड एक्शंस लेने होंगे लेकिन एक बात जो सच है नेगेटिव बिलीव बनाने के लिए आपको बस एक बड़ा एक्शन लगता है वही एक पॉजिटिव सेल्फ बिलीव डेवलप करने के लिए आपको कई सारे छोट-छोट माइक्रो एक्शंस लगते हैं क्योंकि सिर्फ सोचने से काम नहीं चलेगा उससे आपको सच भी साबित करना पड़ेगा खुद के लिए ताकि आप उसे पर हमेशा के लिए बिलीव कर पाओ जो बात आप आज खुद से कह रहे हो उसे प्रैक्टिस में भी लो और अब इसके बाद आपको करना है।
Phase 3. Believe Change Is Possible By Detoxing Your Mind
अपने यहां सही गैस कर हम यहां dopamine डिटॉक्स की बात कर रहे हैं लेकिन ऑन ए वेरी सीरियस नोट यह बहुत इंपॉर्टेंट है इस 21 देस के चैलेंज में लास्ट 7 डेज आपको डोपामिन डिटॉक्स करना है इसे करने का में परपज यह ताकि आपका ब्रायन जो अभी अपने रिप्रोग्रामिंग की स्टेज में है इस बीच इसके अंदर कोई ऐसा सेल्फ बिलीव या सेल्फ टोक डिवेलप न हो जाए जो आप नहीं चाहते जो आपने conciously अपने लिए कस नहीं कर बल्कि किसी ने किसी डोपामिन की हित की वजह से वह आपके मन में बैठ गया है।
हमें पता है कि आपकोडोपामिन डिटॉक्स के बारे में सब कुछ पता है इसमें क्या करना है क्या नहीं आप सब जानते हो बट जब आप इसे सेल्फ टोक और माइक्रो एक्शंस के पावर के साथ जोड़ दोगे तो आपको रोक पाना इंपॉसिबल हो जाएगा इसके बाद आपके लिए कुछ मुश्किल नहीं रहेगा इसके बाद आप कभी फॉक्स या डिसिप्लिन से स्ट्रगल नहीं करोगे और आपका मन सक्सेस के लिए तैयार हो जाएगा।
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