Why We Should Not Eat Rice During Fever

बुखार में चावल क्यों नहीं खाना चाहिए – Why We Should Not Eat Rice During Fever

भारत में लोग चावल खाना बहुत पसंद करते हैं। कुछ घरों में चावल रोज बनते हैं। कई बार आपने सुना होगा कि सर्दी-खांसी या बुखार होने पर चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। बीमारी के समय रोटी खाने को कहा जाता है क्यूंकि बुखार आने पर अक्सर लोग इस असमंजस में रहते हैं कि क्या खाएं और क्या न खांए। क्योंकि इस दौरान कुछ खाने का मन नहीं करता मुंह का स्वाद बिगड़ा रहता है और बुखार में हर चीज को ध्यान में रखते हुए खाना होता है कि कहीं कोई चीज नुकसान न कर जाए। लोग अक्सर बुखार में चावल खाने लगते हैं, जिससे नुकसान उन्हें झेलना पड़ सकता है। इसलिए आज इस लेख में हम आपको बताएंगे कि बुखार में चावल खाने से क्या नुकसान हो सकता है। तो चलिए जानते हैं।

Why We Should Not Eat Rice During Fever

                                  Kya Bukhar Me Chawal Khana Chahiye

ऐसा भी माना जाता है की अच्छे बैक्टीरिया के मरने से भी शरीर का तापमान बढ़ जाता है, इसी लिये कभी किसी भी तरह की बीमारी में भोजन बंद नहीं करनी चाहिए। बुखार के कारण हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाती है और कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण हमें भूख, प्यास नहीं लगती। लेकिन आपको भूख लगे या नहीं परन्तु बुखार होने पर भोजन जरुर करना चाहिए। 

भोजन के साथ ही हमें तरल पदार्थ का सेवन भी करते रहना चाहिए जैसे की जूस, सूप, पानी आदि। तरल पदार्थ लेने से शरीर से पानी कम नहीं होता और वह आपके शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल देता है। तापमान बढ़ने के कारण शरीर में पानी की कमी होने लगती है इसलिये तरल पदार्थ के रूप में पानी लेते रहना चाहिए।

बुखार के समय प्रोटीन और विटामिन युक्त भोजन लेना चाहिए और साथ ही  खनीज का भी आवश्यक ध्यान रखना चाहिए। प्रोटीन का काम नई कोशिकाओं को बनाना होता है और जैसा कि बुखार के समय शरीर नई कोशिकाएं बनाना बंद कर देता है और प्रोटीन की मौजूदगी इस प्रक्रिया को वापस सही दिशा दे देती है। इस लिये बीमारी चाहे जो भी हो कभी भोजन नहीं छोड़ना चाहिए।

A. मौसमी बुखार या इन्फ्लुएंजा

इसमें व्यक्ति जब बात करता है, तो खांसता या छींकता है –  जैसा कि हम सभी यह जानते हैं  कि बुखार स्वयं में कोई बीमारी नहीं है, यह आमतौर पर किसी संक्रमण के कारण होता है विषाणु संक्रमित व्यक्ति की सांस से फैलता है और इसके कारण हमारे शरीर का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है। किसी भी प्रकार के बुखार के दौरान आसानी से पचने योग्य भोजन ही खाएं। शरीर के बढ़े तापमान के कारण शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है, इस लिये जितना हो सके तरल पदार्थ जैसे नारियल पानी, सूप, फलों का जूस और आसानी से पचने वाला भोजन जैसे खिचड़ी आदि देना चाहिए।

B. मलेरिया का बुखार 

मलेरिया के बुखार आने पर ठंड लगती है, कंपकंपी, जोड़ों में दर्द, उल्टी, शरीर में पानी की कमी, सुस्ती जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसके कारण शरीर का तापमान ओर बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आप बुखार में चावल खाते हैं, तो इससे आपको और ज्यादा ठंडी का एहसास हो सकता है। क्योंकि चावल की तासीर ठंडी होती है और अगर आप इसका सेवन करते हैं, तो बुखार बढ़ सकता है।

मलेरिया का बुखार मादा मच्छर के काटने से होता है, बुखार के कारण शरीर के तापमान की वृद्धि के कारण शरीर की ऊर्जा समाप्त हो जाती है। और ऐसे में हमें सदैव अधिक कैलोरी वाले भोजन को प्राथमिकता देनी चाहिए। उनके भोजन में गन्ने का रस, Boil पानी, जैसे पेय शामिल होने चाहिए जिससे उन्हें कमजोरी का अनुभव नहीं होता। मलेरिया के मरीज को सूप, मछली, अंडे, विटामिन B कॉम्प्लेक्स, दूध, चावल का पानी, आदि दिया जाना चाहिये।

C. जुकाम के कारण बुखार 

इनमें नाक बहना, खाँसी, नाक बंद होना, शरीर में दर्द, सिरदर्द और थकावट हो सकता है तथा इसके साथ-साथ बुखार भी हो सकता है और जब हमें जुकाम होता है तो शरीर का तापमान स्वतः बढ़ने लगता है और ऐसे में शरीर की ख़ास देखभाल करनी चाहिए। सर्दी के कारण हुए बुखार में भी चावल खाना नुकसानदायक होता है। चावल की तासीर ठंडी होने के कारण और सर्दी में पहले से ही ठंड महसूस होती है ऐसे में चावल खाने से सर्दी और ज्यादा बढ़ सकती है। जो आपको परेशान कर सकती है।

चावल में ठंडा करने के गुण होते हैं इस लिये मरीज को फ्रिज से निकाले या बासी चावल के बजाए ताज़ा बने चावल देना चाहिए। परंतु बहुत कम बार ऐसा होता है जब डॉक्टर इसे न खाने की सलाह देते हैं। परन्तु हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता और जलवायु जिसमें हम रहते हैं, इसे न खाने की सलाह देते हैं। 

D. टाइफाइड बुखार

यह एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है जो दूषित पानी या भोजन के सेवन के कारण होता तथा इसके बैक्टीरिया को ‘साल्मोनेला टाइफी’ नाम से जाना जाता है। शरीर में प्रवेश करने के बाद बैक्टीरिया तेजी से बढ़ने लगते हैं तथा  इसे “आँतों का बुखार” के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह मुख्य रूप से हमारी आंतों को प्रभावित करता , यदि समय पर या उचित तरीके से इलाज नहीं किया जाता है, तो एक व्यक्ति कई महीनों तक पीड़ित हो सकता है और यह काफी गंभीर हो जाता है।

टाइफाइड बुखार के दौरान, व्यक्ति को साफ और उबला हुआ पानी पीना चाहिए। स्ट्रीट फूड, कच्ची सब्जियां, मसालेदार भोजन, तेल और साथ ही डब्बा बंद भोजन से बचना चाहिए। इसके अलावा आसानी से पचने वाले भोजन खा सकते हैं, विशेष रूप से खिचड़ी खाया जा सकता है।

E. पीलिया बुखार 

यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिसके कारण रोगी का शरीर हलके पीले रंग में बदल जाता है। पीलिया होने पर किसी व्यक्ति को सिर दर्द, लो-ग्रेड बुखार, मतली और उल्टी, भूख कम लगना, त्वचा में खुजली और थकान आदि लक्षण होते हैं। त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला पड़ जाता है। 

पीलिया के दौरान  हमारा लीवर सबसे अधिक प्रभावित होता है और यह हमारे शरीर का सबसे प्रमुख अंग होता है जो खास कर पाचन को बढ़ावा देता है। इस लिये जब आपके शरीर का मुख्य भाग जिसे प्रमुख रूप से शरीर के ऊर्जा की खान कहा जाता है, वाही क्षति ग्रस्त होने लगे तो रोगी को ढेर सारा तरल पदार्थ लेना शुरू कर देना चाहिए और साथ ही पौष्टिक आहार भी लेते रहना चाहिए। पीलिया से लड़ने का यही सबसे उत्तम उपाय है।

पीलिया के दौरान मरीज को खट्टे फल, गन्ने का रस, टमाटर, चावल, ककड़ी, आदि खा सकते हैं। उच्च शर्करा और कैलोरी युक्त भोजन से बचने की कोशिश करें। डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, शराब, पनीर, किसी भी प्रकार की डेरी उत्पादों और जंक फ़ूड से दूर रहें। लेकिन चावल के लिये कोई प्रतिबंध नहीं है।

निष्कर्ष

बुखार के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे की निमोनिया, चेचक, चिकनपॉक्स, किसी प्रकार का संक्रमण, आदि। और हर रोग में चावल खाने का परहेज आवश्यक नहीं। कभी-कभी कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण वे इसे खाने से मना करते हैं। लेकिन केवल बुखार में इसे न खाने जैसा कोई नियम नहीं है लेकिन आप किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह जरुर लें। बस इस बात का ध्यान रखें की ताजा भोजन खाएं और तरल पदार्थ लेते रहें इससे आप जल्दी ठीक हो जायेंगे।

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