10 Bad Habits | बुरी आदतें जो आपके दिमाग को डैमेज करती है |

| Change Your Life in Just 21 Days | 10 Bad Habits for Brain | 

दोस्तों हमारी बॉडी और शरीर के किसी भी हिस्से में लगी चोट को और हुए डैमेज को तुम सभी आराम से देख सकते हैं।  लेकिन हमारे ब्रेन में हो रही बीमारी या हर दिन धीरे-धीरे होने वाले डैमेज, प्रॉब्लम्स और नुकसान को हम नहीं देख सकते। जबकि दिमाग ही हमारी बॉडी का सबसे इंपॉर्टेंट अंग माना जाता है लेकिन फिर भी लोग इसमें लापरवाही करते हैं। इसी वीक दिमाग और कम फॉक्स ब्रेन होने के कारण एवं आप में से भी ऐसे कई लोग होंगे जो अभी इस लेख को अधूरा छोड़कर दूसरा आर्टिकल पढने लग जाएंगे,

10 Bad Habits for Brain

बिना यह अच्छे से जाने की आखिर ऐसी क्या हैबिट्स है जो आपके दिमाग को रोज डैमेज और बर्बाद कर रही है या कर रही है या कर सकती हैं कई एक्सपर्ट्स के अकॉर्डिंग आजकल की मॉडर्न लाइफस्टाइल और हैबिट्स हमारे ब्रायन को डैमेज करके कमजोर बना रही हैं तो आइये जानते हैं वो 9 हैबिट्स जो आपके ब्रायन को डैमेज कर रही है

1.  Poor Sleeping Habits 

इसमें तो कोई दोराय नहीं है एक अच्छी स्लिप का परपज ही है आपके ब्रायन को रेस्ट देना होता है। अगर आप नॉनस्टॉप चलते-चलते थक जाओ तो थोड़ी देर बैठकर आराम करके आप वापस से चलने के लिए तैयार हो जाते हो लेकिन अगर आपका दिमाग नॉनस्टॉप कम कर करके थक जाए तो उसे आराम सिर्फ और सिर्फ एक अच्छी नींद सही मिलेगा।  मगर अफसोस जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं हमारी स्लीपिंग हैबिट्स उतनी ही खराब होती जाती है ना सोने का टाइम होता है ना ही उठने का, कम सोने से और लेट सोने से आपकी थिंकिंग स्लो हो जाती है। 

आपकी मेमोरी खराब होने लगती है। आपकी डिसीजन मेकिंग एबिलिटी खराब होती है और भी बहुत सीरियस प्रॉब्लम्स होती हैं इन फैक्ट एक स्टडी के अकॉर्डिंग नींद की कमी से आपके ब्रेन का एक्चुअल साइज कम होने लगता है इसलिए आपको अपने स्लिप के पैटर्न को समझना होगा और यह देखना होगा कि आपको कितनी नींद की जरूरत होती है और एक बार यह पता चल जाए तो उसके बाद ज्यादा सोने पर फोकस मत करो बल्कि अपनी नींद की इंपॉर्टेंट समझो कि यह कितनी ज्यादा इंपोर्टेंट है बिना लेट नाइट तक फोन चलाने के टाइम से सोने और अच्छे से सोने पर फोकस करो

2. Too Much Screen Time 

Screens हमारी लाइफ का बहुत इंपॉर्टेंट पार्ट बन चुकी है जो धीरे-धीरे हमारी सारी एक्टिविटीज को रिप्लेस कर रही है।  अब दिन हो या रात लोग बाहर जाकर जीने की जगह बस अपने फोन में आंखें गुस्साए बैठे रहते हैं। 2017 की एक रिसर्च के अकॉर्डिंग छोटे बच्चों में देखा गया कि एक्सेसिव स्क्रीन एक्स्पोज़र से उनके ब्रेन की कनेक्टिविटी कम हो जाती है।  क्योंकि स्क्रीन देखते वक्त आपका दिमाग इस्तेमाल नहीं होता। आप बस माइंडलेसली एक लाइट को घुर रहे होते हो वही इसका ठीक उल्टा होता है, जब बच्चे बुक्स पढ रहे होते हैं उनके ब्रेन के कनेक्टिविटी बढ़ जाती है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि जब आप पढ़ रहे होते हो तो आप शब्द को पढ़कर उनका मीनिंग निकाल कर एक बात को समझने के लिए अपने मन में इमेजिनेशन करते हो, उसके बारे में सोचते हो जो आपके ब्रेन के लिए एक बहुत ही हेल्दी एक्सरसाइज है। जरा अपने फोन की सेटिंग में जाकर देखो आप दिन भर में कितने घंटे अपना फोन use  कर रहे हो और उस कम करने की कोशिश करो। 

3 Consuming Too Much Sugar  

शायद हो सकता है Rendomly दिन में आपका कुछ मीठा खाने का मन करने लगता है या आप सुबह उठकर चीनी वाली चाय या कॉफी पीते हो या फिर जब आपके घर में मिठाई का डिब्बा आता है तो आप खुद को एक मिठाई का पीस खाने से रोक नहीं पाते या हो सकता है आप कोका कोला या पेप्सी regularly पीते रहते हो। यह शुगर की क्रेविंग आपके स्ट्रेस लेवल्स के लिए एक इंडिकेटर की तरह होती हैं क्योंकि साइंस के अकॉर्डिंग शुगर की ग्रेविंग आपके ब्रेन का स्ट्रेस रेस्पॉन्डिंग सिस्टम है। 

लेकिन अगर यह ज्यादा हो जाती है तो आप शुगर के अधिक बन सकते हो जो आपके ब्रायन को बहुत बुरी तरह इफेक्ट करती है 2011 की एक स्टडी यह दिखाती है कि कैसे शुगर हमारे ब्रेन के कॉग्निटिव फंक्शंस को कमजोर बनाती है 2017 की एक अल्जाइमर’एस स्टडी के अकॉर्डिंग जो लोग हर दिन एक या एक से ज्यादा शुगर ड्रिंक पीते हैं उनके ब्रेन कीएबिलिटी कम हो जाती है और उनकी मेमोरी अफेक्ट होने लगती है और यह दोनों ही अल्जाइमर‘एस डिजीज का इशारा है। 

4. Sedenrtary Lifestyle

दोस्तों दिनभर खुद को एक कमरे में बंद रखना, ना किसी से मिलना ना बात करना, सुबह कब हो रही है और कब रात इसका कोई होश नहीं होता। यह आपके बदिमाग को और ज्यादा लेजी बनता जा रहा है जो लॉन्ग टर्म में एंजायटी और डिप्रेशन का रीजन बन सकता है। क्या आपको पता है यूनिवर्सिटी आफ मिशीगन की एक रिपोर्ट के अकॉर्डिंग हर दिन सिर्फ 10 मिनट किसी व्यक्ति  के साथ रियल फेस टू फेस कन्वर्सेशन करने से आपकी मेमोरी के कॉग्निशन और ज्यादा इंप्रूव होते हैं। 

इसीलिए घर से बाहर निकलना शुरू करो लोगों से बात करो कनेक्शंस बनाओ यह आपको बहुत अच्छा फील कर आएगा। क्योंकि हम ह्यूमंस सोशल बीइंग्स है जो एक जगह बैठने के लिए नहीं बने हैं बल्कि इस वर्ल्ड को एक्सप्लोर और लोगों के साथ रहने के लिए बने हैं। 

5 Eating Too Much Junk Food 

यू सी एलिस ब्रेन रिसर्च इंस्टीट्यूट की साइकोलॉजिस्ट आरोन ब्लेस डेल ने एक रिसर्च कंडक्ट करी जिसमें उनका कहना है, कि जंक फूड या हाई शुगर डाइट सिर्फ आपको फिजिकली ही unhealthy नहीं बनती बल्कि आपके दिमाग को भी केमिकली चेंज कर देती है। जो हम अपनी बॉडी में डालते हैं वह हमारे ब्रेन के लिए फ्यूल का काम करता है। अगर आप अपनी गाड़ी में पेट्रोल की जगह गंदा पानी डालोगे तो उसका इंजन दो खराब होगा ही। 

इसी तरह एक हेल्थी और न्यूट्रॉनस रिच डाइट की जगह अगर आप अनहेल्दी और जंक फूड खाओगे तो आपकी बॉडी के साथ-साथ ब्रेन की हेल्थ भी डैमेज होगी स्टार्ट करने के लिए सबसे पहले सिर्फ घर में बना खाना शुरू करो बाहर जाकर पैसे और हेल्थ दोनों वेस्ट करके जंक फूड खाने से अच्छा है घर का फ्रेश और हेल्दी खाना खाना इससे आपके पैसे वेस्ट होने से भी बचेंगे आपकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी खराब नहीं होगी आपको कोई आगे चलकरबीमारियां भी नहीं लगेगी और ना ही अब दवाइयां में अपना पैसा वेस्ट करोगे। 

6. Waking Up Late In The Morning 

एक और आदत जो आपके दिमाग को हर दिन डैमेज करती है वह है अपने दिन की शुरुआत देर से करना। दोस्तों हमारा यह मानना है कि जो भी चीज नेचुरल नहीं है कोई काम अगर नेचर के अकॉर्डिंग नहीं होगा, तो हमें उसकी कोई ना कोई सजा जरूर मिलेगी। हमारी बॉडी के बायोलॉजी ऐसे डिजाइन करी गई है जिसके लिए रात सोने के लिए है और दिन जागने के लिए, पर बहुत से लोग दिन में बहुत लेट सो के उठाते हैं जहां आधा दिन ऑलमोस्ट खत्म हो चुका है यह उनके दिमाग में एक नेगेटिव थॉट सेट कर देता है उन्हें लगने लगता है अरे यार आज मैं फिर लेट उठा और फिर ऐसा लगता है कि अब तो दिन भी खत्म होने वाला है अब कुछ करने के लिए बचा ही नहीं

और सारे काम चल के लिए पोस्टपोन कर देते हैं और कल फिर लेट उठते हैं यह रिपीटेड बिहेवियर और इसके साथ जुड़ी हुई नेगेटिव फीलिंग आपके ब्रेन में हार्ड वायर हो जाती हैं जो आपकी सेल्फ एस्टीम को कम कर देती हैं आपको अपनी नजरों में गिरती जाती हैं और यह थॉट धीरे-धीरे करके आपकी मेंटल हेल्थ को डैमेज करने लगता है क्योंकि सुबह लेट उठते ही सब कॉन्शियसली आप अपने मन में सोच रहे होते हो मैं आज भी खुद की बुरी आदत से ही हार गया जो आपको मेंटली अफेक्ट करती है

7 Not Exercising

फिजिकल एक्सरसाइज सिर्फ आपकी बॉडी के लिए ही जरूरी नहीं है बल्कि आपके दिमाग और मन के लिए भी बहुत जरूरी है ऐसे इसलिए है क्योंकि जब आप एक्सरसाइज करते हो तो आपका हार्ट रेट बढ़ जाता है। आपका हार्ड ज्यादा ऑक्सीजन पंप करने लगता है जो आपके ब्रायन तक पहुंचता है। इससे रिलेटेड naperville high school के कुछ स्टूडेंट्स पर एक एक्सपेरिमेंट भी कर गया था। जहां एक क्लास को दो ग्रुप में बांट दिया क्या पहले स्टूडेंट के ग्रुप को कहा गया कि उन्हें हर सुबह इंटेंस एक्सेस करनी है अपने हार्ट रेट को बढ़ा के रखना है दूसरेग्रुप को कहा गया कि वह आराम कहा गया कि वह आराम से सो सकते हैं और जब दोनों ग्रुप के एग्जाम रिजल्ट्स देखे गए तो रिजल्ट ही आया के ग्रुप वन के कोर्स में 17% का इंक्रीज देखा गया वही ग्रुप 2 के स्टूडेंट्स में 10.7% की इंप्रूवमेंट देखी गई

इसे ठीक करने के लिए हर दिन सिर्फ 30 मिनट एक्सेस करने से स्टार्ट करो अगर आपकी डेस्क जॉब है या आप एक स्टूडेंट हो तो हो सकता है आप अपना ज्यादातर टाइम बैठे-बैठे ही बिताते हो तो अपने फोन में अलार्म सेट करो जो हर 45 मिनट में आपको याद दिलाए के ज्यादा बैठना आपकी ब्रेन के लिए अच्छा नहीं है और आप उठकर तुरंत 5 मिनट के लिए स्ट्रेचिंग या वॉक कर पाओ

8 Over Consuming Content

ओवर कंजूमिंग कंटेंट हमारा ब्रायन इनफॉरमेशन को प्रोसेस करने का काम करता है लेकिन आज के टाइम में इतनी ज्यादा इनफॉरमेशन है कि हमारा ब्रायन हैंग होना शुरू हो गया है हमारा brain माना  बहुत पावरफुल है लेकिन यह भी परफेक्ट नहीं है इसकीभी एक लिमिट है जो हम हर दिन क्रॉस कर देते हैं व्हाट्सएप फेसबुक ईमेल्स कॉल्स ,रील्स  यूट्यूब हर जगह से इतनी ज्यादा कंटेंट की सप्लाई तो बढ़ती जा रही है बट हमारे ब्रेन की कैपेसिटी वह तो उतने की उतनी ही है

ग्राहम कॉलेज लंदन के प्रोफेसर ऑफ साइकोलॉजी ग्लेन विल्सन ने अपनी रिसर्च चाहिए पता लगाया कि जब हम किसी सिचुएशन में होते हैं जहां हमें फूल फॉक्स और कंसंट्रेशन की जरूरत होती है पर साइड में हमारा फोन रखा हुआ होता है जिस पर एक एंड्रॉयड मैसेज की नोटिफिकेशन आई हुई होती है बस इस सिचुएशन में होने से ही हमारे ब्रेन का i.q 10 पॉइंट से नीचे गिर जाता है यह ऐसा ही है जैसे मान लो आप एक गुब्बारे में हवा भर रहे हो और बढ़ते जा रहे हो रुक ही नहीं रहे तो एक नाइट टाइम आएगा जब वह गुब्बारा फट जाएगा। हमारा दिमाग वह गुब्बारा बनता जा रहा है और इंटरनेट का यह सारा कंटेंट हवा। 

9. Lack Of Stimulating Thoughts

दोस्तों अगर आप एक मशीन खरीद कर उसे कोने में रख दोगे और उसे ज्यादा use नहीं करोगे तो उसमें जंग लगना शुरू हो जाएगा। हमारा दिमाग बना है सोचने के लिए क्रिटिकल क्रिएटिव और एनालिटिकल थिंकिंग के लिए लेकिन आजकल टेक्नोलॉजी की वजह से हमारे ब्रेन का ज्यादा use  बचा नहीं है। अगर हम कभी किसी प्रॉब्लम में फसतें हैं तो उसके बारे में सोचने के बजाय हम गूगल या यूट्यूब पर सॉल्यूशन ढूंढने लगते हैं। 

अगर आप नोटिस करोगे तो आपको पता चलेगा कि आप पूरे दिन में बिना सोचे समझे ऑटो पायलट मोड पर कितने डिसीजंस ले रहे हो जहां आपकी ब्रेन की जरा भी पावर use  नहीं हो रही जो आपके ब्रायन को डैमेज कर रहा है जब तक आपके ब्रेन के पास कुछ सोचने के लिए है कोई goal है लाइफ का परपज है तो वह अपने बेस्ट वर्जन में काम करेगा वरना यह धीरे-धीरे डेड हो जाएगा। 

10 Procastinating 

आलस्य, जिसे हम आमतौर से ‘टालमटोल’ या ‘कामचोरी’ भी कहते हैं, यह एक ऐसी समस्या है जो व्यक्ति को उसके कार्यों के पीछे छोड़ने का बहाना बनाता है। यह एक चुनौतीपूर्ण समस्या है, जो हर किसी की जिंदगी का हिस्सा है। कभी-कभी हम अपनी जिम्मेदारियों को टालते हैं और अनुपयोगी चीजों में समय गवा देते हैं, जैसे कि सोशल मीडिया, यूट्यूब वीडियोज, और बिना किसी उपयोग के इंटरनेट सर्फिंग। इसमें कुछ रोचक है कि कैसे हम अपने आत्म-निर्णय को आंधकार से बाहर निकालकर काम में लगते हैं, लेकिन एक बार जब हम वही कार्य शुरू करते हैं, तो हम आत्म-संतुष्टि और सफलता का अहसास करते हैं। इस आलस्य युग में, हमें अपने लक्ष्यों की दिशा में बढ़ने के लिए खुद को प्रेरित करने के लिए अपने आत्म-नियंत्रण को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

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