How Control Your Emotions

How Control Your Emotions – Emotional लोगो की कोई कदर नहीं करता। 

दोस्तों क्या आपने कभी किसी परिस्तिथि में भावुक होकर रियेक्ट किया है? और उसके बाद आपको पछतावा हुआ कि यार मुझे इतना emotionally रियेक्ट नहीं करना चाहिए था। या अगर आप चाहते तो हो कि आपका आपने emotion पर 100% control होता तो बहुत ही अच्छा होता लेकिन वहीँ आपको ये भी लगता है कि emotions को control करना बहुत ही मुश्किल है और आप अपने emotions को control नहीं कर सकते तो आज आपका ये विश्वास बिलकुल बदल जायेगा।

How Control Your Emotions

आप अभी जो भी emotion feel कर रहे हैं। आपने खुद उस emotion को feel करने का choose करा है। आप खुद ही अपने emotions का source हो क्यूंकि आप खुद ही इन्हें create करते हो क्यूंकि आप जाब चाहे जैसा चाहे वैसा feel कर सकते हो उसके लिए आपको किसी भी reason कि जरुरत नहीं है। अगर आप अभी sad feel कर रहे हो तो उन सभी चीजो के बारे में सोचने से जिनके लिए आप greatful हो आप emidetly खुश feel करने लगोगे।

और जिंदगी के प्रति आपका attitude आपकी happiness को प्रभावित करता है बजाये इसके के आपके साथ क्या और कैसा होता तो एक happy और successful life जीने के लिए हमारा अपने emotions पर control होना जरुरी है जिन्हें हम 5 प्रैक्टिकल steps से कर सकते हैं। 

1. How Are Emotions Formed-भावनाएँ कैसे बनती हैं

How Are Emotions Formed

अगर आप किसी भी रिजल्ट को change करना चाहते हो तो उसके लिए आपको उसके process को change करना बहुत जरुरी है क्यूंकि author कहते हैं आपका रिजल्ट पे कोई control नहीं है आप सिर्फ process को control कर सकते हो अगर आप चाहते हो कि आपके exam में अच्छा रिजल्ट आये तो आपका अपने study पैटर्न को change करना होगा

और उसे change करने के लिए आपको अपने currrent study pattern को analise करना होगा similarly अगर आप अपने emotions को change करना चाहते हो तो आपको ये जानना बहुत जरुरी है कि emotions बनते कैसे हैं ऑथर हमें एक सिंपल फार्मूला बताते हैं जिससे हमारे सभी emotions formed होते हैं जो कहता –

interpretation + identification + repetition = strong emotion

Interpretationव्याख्या में आप अपनी life के किसी इवेंट या अपने past में हुई किसी tragedy के basis से एक सिचुएशन को देखते हो – 

Identification – पहचान में वो विचार एक feeling को ट्रिगर करता है जिसे आप खुद से कनेक्ट कर लेते हो। 

Repetition – दोहराना में आप उस विचार को बार- बार अपने mind में play करते रहते हो जो सब कुछ मिलकर एक       ऐसा स्ट्रोंग emotion create करता है जो आपकी life का एक पार्ट बन जाता है। 

इसीलिए जब आप खुद को किसी similar सिचुएशन में पाते हो वो सारे thoughts और feelings आपके brain में ट्रिगर हो जाते हैं और आप एक certain emotion को feel करने लगते हो तो इन सबकी शरुआत होती है कि आप किसी भी सिचुएशन को किस नज़रिये से देखते हो। 

इस साइकिल को ब्रेक करने के लिए ऑथर कहते हैं हमें एक पॉजिटिव आउटलुक के साथ उस similar सिचुएशन को देखना शरू करना चाहिए। जैसे – मान लो आप बहुत टाइम और मेहनत से एक project पर काम कर रहे थे पर जब आपने उस project को अपने बॉस के सामने प्रेजेंट करा तो आपको बहुत critisize करा गया सबके सामने आपकी बहुत insult करी गयी जिसकी वजह से आपको बहुत बुरा feel हुआ

और आपका self confidence low हो गया अब जब भी आप अपने बॉस का काम करना होता है तो वो रिजेक्शन और critisicium का डर आप पर हावी हो जाता है जो आपके काम को और ख़राब करता है इसे change करने के लिए आपको उस काम को एक पॉजिटिव view से देखना शरू करना होगा। आपको ऐसे सोचना होगा मेने उस project में एसी कोंन सी मिस्टेक करी थी जिस वजह से मुझे इतना criticism मिला

और मैं कैसे उन मिस्टेक्स को अवॉयड कर सकता हूँ। ऐसा करने से आप इसे एक negative एक्सपीरियंस से हटकर एक पॉजिटिव एक्सपीरियंस बना दोगे और ये साइकिल change हो जाएगी। जिससे कि जब भी कोई आपको critisise करेगा तो आप sameful feel करने के बजाये खुद को improve करने के एक challenge की तरह उसे करोगे। 

                                                  Negative→Positive

 2. Identify Your Emotions-अपनी भावनाओं को पहचानें

Identify Your Emotions                                                                              How Control Your Emotions

साल 2001 में journal of cognition and emotion में पब्लिश हुई एक study के अनुसार emotional regulation correlates with emotional distinction.” जिसका सिंपल मतलब है जो लोग अपने emotions को identify कर पाते हैं वो अपने emotion से aware हो जाते हैं इससे वो उन्हें और बेटर तरीके से हैंडल कर पाते हैं

और अपने emotions को master करने का सबसे important step येही है कि एक्चुअल में identify करना कि आप कैसा feel कर रहे हो, कुछ लोग गुस्से में होते हुए बहुत बुरी तरह रियेक्ट करते हैं पर ये बोलते हैं कि वो गुस्से में नहीं हैं बस उनका mood ख़राब हो रहा है कई लोग दुखी होते हुए भी अपनी इस feeling को छुपाते हैं और दुनिया के सामने fake smile लेकर चलते हैं ऑथर कहते हैं कि ये सबसे बड़ी problem create करता है

क्यूंकि आप exactly decide  नहीं कर पाओगे की आप किस emotion को feel कर रहे हो तब तक आप उसे control नहीं कर सकते इसीलिए अपने emotions को identify करने के लिए हमें खुद से ये सवाल पूछने चाहिए- मैं अभी कैसा feel कर रहा हूँ?  क्या में सच में ऐसा feel कर रहा हूँ या में इस emotion को fake रहा हूँ। जितना ज्यादा आप अपने emotion को लेकर clear रहोगे आप उतने ही अच्छी तरह मैनेज कर पाओगे। 

3. Challenging Patterns-चुनौतीपूर्ण पैटर्न

just मान लो अगर आप ड्राइंग सीखना चाहते हो तो ड्राइंग सिखने का सबसे best तरीका क्या है क्या आप एक ही चीज़ बार – बार ड्रा करके सीखना चाहिए या फिर कई तरह कि अलग-अलग चीजो कि ड्राइंग बनाकर practice करना चाहिए कई जगह पर repetition काम आता है पर जब आप अपने आपको नये एक्सपीरियंस से expose करते हो तो आपको एक ही काम करने के लिए कई सारे तरीके पता चलते हैं पर जब हम emotions की बात करते हैं

तो कई लोग एक सेट pattern पर अपनी life जेते हैं वो एक ही रूटीन को बार-बार follow करते हैं हर दिन same ही emotions को feel करते है जिनमे से ज्यादातर negative ही होते हैं अगर आप real emotional इंटेलिजेंस build करना चाहते हो तो आपको खुद को अपने comfort zone से बहार निकालना होगा।  किसी न्यू जगह ट्रेवल करो नए लोगो से मिलो कुछ ऐसा जो करने से आपका ये patttern ब्रेक हो और आप इन sad ऑफ़ emotion से हटकर कुछ नया फील कर पाओ। 

और author कहते हैं ज्यादातर लोग two word लाइफ जीते हैं। उनकी लाइफ में जो कुछ भी होता है उन्हें वह बस गुड और बैड में ही कर पाते हैं उसके अलावा उन्हें कोई और एक्सप्रेशन समझ ही नहीं आता इसीलिए जब आपने अनुभवों से खुद को एक्सपोज करते हो तो आप ऐसे इमोशन फील करते हो जो शायद आपने पूरी लाइफ में कभी फील नहीं किए हैं जो आपको एक नया perspective देते हैं और आप जितने ज्यादा इमोशनल feel करते हो आपकी emotional vocabulary भी इनक्रीस होती है और आप grow होना शुरू करते हो

4. Positive Rumanation-सकारात्मक रुमानेशन

एक सिंगल नेगेटिव इवेंट आपके पूरे हफ्ते के काम को खराब कर सकता है। जैसे हमारे साथ कुछ बुरा होता है हम  एकदम से किसी guilt or emberisment के emotion में  trap होकर रह जाते हैं इसके बाद अगर कुछ पॉजिटिव काम  करने जाते हैं तो वह नकारात्मक ढंग से हर चीज को affect करने लगता है। infect जो काम करना आपको पसंद होता है आपको उस काम में भी कोई मजा नहीं आता क्योंकि आपके माइंड से नकारात्मक अनुभव निकलता ही नहीं है

इसीलिए phchylogy के अनुसार अगर आपको कहीं हजार रुपया फ्री में मिल जाते हैं तो उसकी खुशी से कई ज्यादा pain आपको इस बात का होगा अगर आपके 1000 रुपया कहीं खो जायेंगे क्योंकि हमारे दिमाग के लिए नकारात्मक emotion  बहुत शक्तिशाली होते हैं तो आखिर आप नकारात्मक emotions को कैसे बदल सकते हैं तो 2003 की एक रिसर्च में participents के 2 group को अपने behavior और एक्सपीरियंस का daily रिकॉर्ड मेंटेन करना था

एक ग्रुप में अपनी लाइफ के सभी पॉजिटिव एप्स एप्स नोट करें वही दूसरे ग्रुप में अपने सारे नेगेटिव अनुभव को daily नोट  down करा कई हफ्ते कई हफ्तों तक इस रिकॉर्ड को मेंटेन करने के बाद रिसर्च ने सभी पार्टिसिपेंट्स की मेंटल हेल्थ को diagnose करा जिसमें यह पता चला ग्रुप 1 जो अपने daily पॉजिटिव अनुभव को नोट करते थे वह बाकियों से ज्यादा खुश और संतुष्ट थे। 

और अगर आप burnout feel कर रहे हो अपने दिमाग में नकारात्मक इमोशंस को रखते हो आपके बैठकर हर दिन इन सभी चीजों को लिखना चाहिए जिनके लिए आप बहुत greatful हो। जो आपके इस negative emotions को पॉजिटिव में change कर देगा।   

5. Reinterpret Your Symptoms-अपने लक्षणों की पुनर्व्याख्या करें

जब आप nervous होते हो तो आपको आपके बॉडी में क्या होता है? आप बहुत तेजी से सांस लेने लगते हो आपकी दिल की धड़कन भी बहुत तेज हो जाती है आपके रोंगटे खड़े होने लगते हैं। जब आप अपनी body में इन बदलावों को नोटिस करते हो तो आपको कैसा महसूस होता है कई लोग इसे stress और एंग्जायटी से जोड़ते हैं

जैसे मान लो आपको हजारो लोगो के सामने स्टेज पर जाकर एक स्पीच देनी है तो आप इन same physical बदलवो को नोटिस करोगे और आपको लगेगा के आप नर्वस हो रहे हो  आप स्पीच के लिए तैयार नहीं हो आप खुद पर संदेह करने लगेगो और आपका confidence ओर गिरता जायेगा। आप इन सभी symptoms को एंग्जायटी समझ रहे हो पर reality में आपकी body एंग्जायटी में नहीं है बल्कि आप बहुत ज्यादा exited हो

क्यूंकि अगर आप सोचो तो जब आप हॉरर मूवी देखते हो तब भी आपको goosebumps feel होते हैं। अगर आपको किसी रोलर कोस्टर पर सवारी करो तब भी आपकी हर्ट बीट्स fast हो जाती हैं जब आप पहली बार डेट पर जाते हो तब भी आप खुद पर संदेह करने लगते हो कि आप कैसे दिख रहे हो और ये सभी फीलिंग्स आपके लिए पॉजिटिव होती हैं और येही same feeling आपको किसी exam देने से पहले भी होती हैं।   

इसे आप negative बना देते हो और हमारे physical symptoms ना ही पॉजिटिव होते हैं ना negative बल्कि हम इनके बारे जैसा सोचते हैं हम उसी तरह की emotions feel करने लगते हैं अगर आप स्टेज पर स्पीच देने से पहले इन physical symptoms को feel करते हो और आप खुद को nervous का टैग देने के बजाये ये बोलो कि आप इस स्पीच को लेकर बहुत excited हो तो तुरंत आपका mind सेट बदल जायेगा आप अच्छा feel करने लग्पोगे और आपका confidence भी इनक्रीस हो जायेगा। 

                                                           ———–*******———–

दोस्तों! यह लेख How Control Your Emotions आपको कैसा लगा? यदि यह हिंदी लेख आपको अच्छा लगा तो आप इस लेख को शेयर कर सकते हैं और इसके अतरिक्त आप हमें comment लिखकर जरुर बताएं ताकि हमें भी आपके विचारो से कुछ सीखने और सुधारने का मोका मिले।

Also Read-

 

Leave a Comment

error: Content is protected !!