जिम्मेदारी क्या होता है? Jimmedari Kya Hoti Hai

जिम्मेदारी लेने से क्या होता है ? How To Be Responsible Person In Hindi

सफलता को प्राप्त करना एक पौधे को सींचकर एक छायादार और फलदार पेड़ बनाने के सामान है जिस प्रकार एक पौधे को बड़ा करके एक फलदार पेड़ बनाने के लिए धूप, मिटटी, हवा, पानी की जरुरत होती है उसी प्रकार सफलता के पौधे को फलदार पेड़ बनाने के लिए बहुत सी चीजों की जरुरत होती है और इनमे से एक चीज जो बहुत ज्यादा जरुरी होती है वह है जीवन में – जिम्मेदारी, अपने काम के प्रति, परिवार के प्रति, अपने लाइफ के प्रति जिम्मेदारी निभाना (Take Responsiblity in Your Life). (Jimmedari Kya Hoti Hai)

Jimmedari Kya Hoti Hai

 काश आपको यह पहले पता होता कि Jimmedari Kya Hoti Hai? 

आपको इस बात को जानकर हैरानी होगी कि लाइफ में बिना किसी मकसद (उद्देश्य) के भटकने वाले मर्दों की तादाद महिलाओं से ज्यादा है सवाल उठता है कि ऐसा क्यों? आखिर मर्दों की सोच में वह कौन सी कमी है वह कौन सी गलती है जिसके कारण मर्द अपने ही हाथों अपनी लाइफ बर्बाद कर रहे है|

1) एक मर्द और एक औरत की सोच में कई बेसिक डिफरेंस है (There are many basic differences)

चाहे एकेडमिक्स में मार्क्स की बात करें या ऑफिस में टारगेट पूरा करने की जब भी एक सिस्टम के हिसाब से काम करने के बाद आती है तो मर्दों की तुलना में औरतें ज्यादा अच्छा परफॉर्म करती है एक मर्द कभी किसी सिस्टम में बंद कर रहना पसंद नहीं करता जबकि औरत आसानी से कर लेती है|  शायद इसीलिए दुनिया के बनाए हम सोशल सिस्टम में औरतें आसानी से एडजस्ट कर लेती है क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों? क्यों मर्दों में औरतों के मुकाबले ज्यादा रिबेलियस एटीट्यूड ( बागी वाला एटीट्यूड होता है )

 ऐसा इसलिए क्योंकि औरतों में एग्रीमेंट का पावर ज्यादा होता है औरतें मर्दों की तुलना में जल्दी राजी हो जाती है अगर हम डॉक्टर पीटरसन का बनाया एग्रीमेंट ग्राफ देखे तो ज्यादातर औरतें एग्रीमेंट की तरफ मिलेगी और ज्यादातर मर्द उसके विपरीत डिसअग्रीमेंट की तरफ मिलेंगे|
अगर आप एक लड़की को कहोगे की क्लास अटेंड करनी है और पढ़ना है तो उसके मन में कोई और थॉट नहीं आएगा वह अटेंड कर लेगी वह पढ़ेगी – वहीं एक लड़के के मन में आसानी से ये बता आ सकती है कि भला मैं क्यों अटेंड करू ये बोरिंग सा लेक्चर? मैं तो अपना फेवरेट वीडियो गेम खेलूंगा

2)  राइट से ज्यादा रिस्पांसिबिलिटीज जरूरी है (Responsibility is more important than rights)

हमारी सोसाइटी में आजकल हर जगह राइट की बात होती है अधिकारों की बात होती लेकिन रिस्पांसिबिलिटी की जिम्मेदारी की बात कोई नहीं करता चाहे पॉलीटिकल लीडर हो या मोटिवेशनल स्पीकर सब केवल हमें हमारे राइट्स याद दिलाते हैं लेकिन डॉक्टर पेटर्सन कहते हैं कि यह बहुत खतरनाक सिचुएशन है क्योंकि राइट की बातें रिबेलियस एटीट्यूड पैदा करती है जबकि रिस्पांसिबिलिटी की बाते लाइफ के उद्दैश्य के बारे में बताती है| जीवन में जिम्मेदारियां आती है|
अपने भविष्य वाले लेक्चर में जब पहली बार डॉक्टर पीटरसन ने रिस्पांसिबिलिटी की बात की तो उन्होंने देखा कि लड़कों की आंखों में चमक आ गई है जैसे उनके सामने कोई छुपा हुआ सीक्रेट आगया हो इस दौड़ भरी जिंदगी में हमें इस बात का अंदाजा ही नहीं होता कि हम किस डायरेक्शन में जा रहे हैं किसने कहा यह करना किसने कहा वह करना बस हम करते ही जाते है | अपनी लाइफ की जिम्मे दारियो को समझ ही नहीं पाते। 

3) मेथेलॉजिकल कहानियां केवल कहानियां नहीं बल्कि जिंदगी का आईना है (Mythological Stories are mirror of Life)

बचपन से हम सब कहानियां सुनते आ रहे हैं कभी किसी राजा की तो कभी किसी महान इंसान की लेकिन कहानियों को सुनाने वालों ने कभी हमें यह नहीं समझाया है कि एक कहानियां हमारी रियल लाइफ से कितना रिलेट करती है
याद कीजिये उन योद्धाओं की राजाओं की कहानियों को जिसमें मर्दों का एक पावरफुल पर्सनैलिटी के रूप में दिखाया जाता था क्या आपने कभी सोचा है कि कहानियों का एक महान राजा इतना पावरफुल और कॉन्फिडेंट क्यों होता था? कैसे होता था? शायद आपने कहानी के बारे में कभी सोचा ना हो वो पावरफुल और कॉन्फिडेंट इसलिए था क्योंकि उसके कंधों पर बहुत सी रिस्पांसिबिलिटीज थी और उन रिस्पांसिबिलिटीज को पूरा करना ही उसने अपनी लाइफ का मकसद मान लिया था। 

और इन जिम्मेदारियों के एहसास ने राजाओं को अपने हर कौशल को विकसित करने पर मजबूर कर दिया ताकि वह लोगों की रक्षा कर सकें यह सिर्फ कहानियां ही नहीं है यह लाइफ के रियालिटी भी अगर आपको लाइफ में कॉन्फिडेंट सेटिस्फाइड फील करना है तो अपने सबसे बड़े रिस्पांसिबिलिटी को पेहचानो और उनको निभाओ भाई फिर देखें कि आपको अपनी लाइफ कितनी जरूरी लगने लगती है | बिना की जिम्मेदारी के जिन्द्की बेकार लगती है और धीरे-धीरे आपको एहसास होने लगता है कि शायद आप किसी काम के नहीं होते वही जवाब रिस्पांसिबिलिटीज का बोझ उठाते हो तो आप अपने होने का मतलब मिलने लगता है मर्द एक एनर्जी से भरे इंस्ट्रूमेंट की तरह अगर उसके एनर्जी को सही डायरेक्शन में नहीं लगाया गया तो बस self-destructive साबित हो सकता है खुद को बर्बाद कर सकता है। 

4. इलाई अपनी ज्यादातर रिस्पांसिबिलिटी समझती है जबकि मर्दों को याद दिलाना पड़ती है-(Women Know their responsibilities while men have to be reminded)

एक मर्द और एक औरत की परवरिश और बायोलॉजी में फर्क होता है प्रोफेसर जॉर्डन पीटरसन कहते हैं कि जहां एक तरफ औरत को शुरुआत से ही एहसास होता है उन्हें बच्चे पैदा करने है बच्चे पालना है परिवार का ख्याल रखना है वही दूसरी ओर मर्दो को इस बात का एहसास करवाना पड़ता है की उनकी क्या जिम्मेदारियां हैं
पुराने दिनों में यह और भी आसान था क्योंकि बहुत छोटी सी उम्र में ही लड़कों के कंधों पर परिवार की खेती या बिजनेस आगे बढ़ाने का बोझ डाल दिया जाता था शादी भी जल्दी हो जाती थी इसलिए आपने देखा होगा कि तब डिप्रेशन और नशे की लत में जवानो का नंबर भी काफी कम था वहीं आज कल पढ़ने लिखने के नाम पर मां-बाप लड़कों को हर जिम्मेदारी से आजाद रखते हैं। 

शायद यही वो वजह है जिसकी वजह से बच्चे किसी भी चीज को सीरियस नहीं लेते | जिंदगी भर बस जिम्मेदारियों से भागते रहते और एक बिना मकसद वाली लाइफ अंदर से खोखला बना देती और इस खालीपन और खोखले पन को भरने के लिए वह नशा जैसे बुरी लतों में उलझ जाते जाते हैं। 

5 जो जितनी बड़ी रिस्पांसिबिलिटी उठाएगा उतना मजबूत और सेटिस्फाइड बनेगा (Taking Great Responsibilities Means Strengthening Yourself)

वो कहते हैं ना कि चीनी जितनी ज्यादा हो चाहे उतनी मिठाई बनती वैसे ही रिस्पांसिबिलिटी जितनी बड़ी होती है कंधे उतनी ही मजबूत हो जाते हैं आपने अक्सर सुना होगा कि गरीब परिवार के व्यक्ति को जब अपॉर्चुनिटी मिलती है तो वो उसका ज्यादा अच्छे से फायदा उठा पाता है वही जिसने लाइफ में कभी बुरा वक्त देखा ही नहीं उसे कुछ सही मायने में जिंदगी को देखा हे नहीं है। लाइफ में जितना ज्यादा स्ट्रगल होगा आपको अपनी रिस्पांसिबिलिटी समझने में उतनी आसानी होगी। 

जैसे एक कंपनी का कर्मचारी हमेशा डिसेटिस्फाइड रहता है क्योंकि वह अपनी कंपनी को अपने रिस्पांसिबिलिटी नहीं समझ सकता उसे तो बस सैलरी से मतलब होता है वही कंपनी के मालिक के ऊपर पूरी कंपनी की जिम्मेदारी होती है इसलिए वह हमेशा स्ट्रांग और सेटिस्फाइड नजर आता है
इसे एग्जांपल के साथ समझते हैं। 

जैसे कोविड में न जाने कितने लोगों की जॉब चली गयी लेकिन जिसे इस बात का एहसास था कि उसके ऊपर फैमिली की रिस्पांसिबिलिटी है उसने कोई गलत कदम नहीं उठाया और अपने परिवार को चलाने का कोई ना कोई रास्ता ढूंढ ही लिया | वही जिसे एहसास ही नहीं रहा उसने डर के मारे सुसाइड जैसे कदम उठा लिए इससे आप समझ सकते हो कि जिम्मेदारी का अहसास इंसान को कितना मजबूत बना देता है|

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