How RAM MANDIR was Made with 0 RUPEES | 0 रुपए में कैसे बना राम मंदिर?

दोस्तों आज हम जानेगे कि How RAM MANDIR was Made with 0 RUPEES ? और साथ ही राम मंदिर का इतिहास भी। राम मंदिर केस भारत के इतिहास का दूसरा सबसे लांगेस्ट चलने वाला केस जो केस पिछले 500 सालों से चल रहा है क्या आप जानते हो पिछले सिर्फ 40 दिनों में यह कैसे सॉल्व हो गया कुछ एविडेंस के बेसिस पर आखिर कौन से एविडेंस थे वो जिन्हें कोर्ट में जैसे ही प्रेजेंट किया गया सिर्फ 40 दिनों के अंदर यह ऐतिहासिक और कंट्रोवर्शियल कैसे हमेशा के लिए सॉल्व हो गया। 

How RAM MANDIR was Made with 0 RUPEES

और वह भी सुप्रीम कोर्ट ने बाकायदा अपने फर्स्ट हियरिंग में एक्जेक्टली 14th अक्टूबर 2019 की डेट देकर कहा था कि हम इस दिन इस केस को फाइनली कनक्लूड कर देंगे। 

 

इसके पीछे के रीजंस काफी इंटरेस्टिंग है सिर्फ दो स्ट्रांग एविडेंस की वजह से यह हो पाया और mind you इन एविडेंस में ऐसे भी सबूत शामिल है जिसमें खुद मुगल और ब्रिटिशर्स ने तक के ओपनली एक्सेप्ट किया है कि यह वहां पर हिस्टोरिकल राम मंदिर मौजूद था सो फाइनली इन एविडेंस की वजह से राम मंदिर तो बन गया लेकिन इस पर अपोजिशन और कई मीडिया रिपोर्ट्स का यह भी मानना है कि देश के पैसों की टोटल बर्बादी है। 

How RAM MANDIR was Made with 0 RUPEES | 0 रुपए में कैसे बना राम मंदिर?

इन फैक्ट बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव जी ने तो मंदिर को वेस्ट आफ मनी प्रूफ करते हुए कहा कि भूख लगने पर बीमार होने पर आदमी कहा जाएगा मंदिर में, उल्टा मंदिर में तो दान देना पड़ता है basicly कुछ लोगो का कहना है कि गवर्नमेंट ने मंदिर बनाने में पैसे बर्बाद कर दिए

लेकिन क्या आप जानते हैं  कि इस मंदिर बनाने में सरकार की जेब से ₹1 भी खर्च नहीं हुआ है अब आप बोलोगे तो फिर डोनेशन के पैसों से बना होगा नहीं डोनेशन का भी ₹1 यहां पर खर्च नहीं हुआ है तो आखिर राम मंदिर बना कैसे? राम मंदिर ट्रस्ट ने ना एक सिंपल लेकिन एकदम इफेक्सेटिव  युक्ति use की जिसे आगे में डिसकस करूंगा।

Ram Mandir Case History- राम मंदिर का इतिहास

क्योंकि यह सब समझने के लिए हमें कहानी को एकदम शुरुआत से शुरू करना होगा इस पूरे 500 साल के लीगल जर्नी को मैं आपको सिर्फ 5 मिनट में सिंपलीफाई करके समझा दूंगा और मुझे पूरा यकीन है कि 0 रुपए में कैसे बना राम मंदिर? इस lekh के पढने के बाद आपको राम मंदिर केस Start to End समझ आ चुका होगा। 

तो इस केस की प्रॉपर क्लेरिटी के लेना मैं इस पूरे राम मंदिर जन्मभूमि कोर्ट केस को तीन मेजर टाइमलाइन में डिवाइड किया है तो शुरुआत करते हैं पहले टाइम लाइन से जो है 1528 से 1947 तो साल  1528 में मुगल बादशाह बाबर ने अपने कमांडर मीर बाकी को यह आर्डर दिया कि वह अयोध्या में मौजूद राम मंदिर को तोड़कर वहां पर मस्जिद बनाईं और इस राम मंदिर को तुड़वाकर जो मस्जिद बनी थी उसे बाबरी मस्जिद नाम दे दिया गया। 

बट कई लिटरेरी सोर्सेस के हिसाब से वहां के लोकल्स बाबरी मस्जिद के बाहर उस सेम जगह पर जिसे राम चबूतरा कहते हैं वहां पर राम भगवान की पूजा फिर भी किया करते थे इसी को लेकर वहां पर कई छोटे-मोटे राइट्स हिस्टोरिकल होते आए हैं क्योंकि ऑफ कोर्स एक ही जगह पर दोनों रिलिजियस पूजा कर रहे थे । 

पर 1853 से 1859 के बीच इन 6 सालों में यह राइट्स काफी ज्यादा वायलेट होने लग गए थे इतने वायलेट कि इतने सालों से इस समस्या को इग्नोर कर रही ब्रिटिश गवर्नमेंट को भी इसमें खुद दखल देना  पड़ा तो ब्रिटिश सरकार ने सबसे पहले राम मंदिर एरिया को अपने कंट्रोल में लिया फिर दोनों पार्टी में एक पीस एग्रीमेंट साइन करवाया

उन्होंने मंदिर एरिया को दो हिस्सों में डिवाइड किया पहले बाबरी मस्जिद वाला हिस्सा मुस्लिम को सोपा गया और दूसरा सीता रसोई और राम चबूतरे वाला हिस्सा हिंदू को दे दिया गया जहां पर हिंदू ऑलरेडी पूजा भी किया करते थे और दोनों साइड के बीच में उन्होंने फेंसिंग करवा दी। 

अब इस सेटलमेंट से भी लोग खुश नहीं थे एस्पेशली हिंदू क्योंकि उनके हिसाब से अगर ऐसा ही था तो इसका मतलब तो यह हो जाएगा कि हिंदू उसको एक खुले मैदान में भगवान की पूजा करनी पड़ेगी लेकिन यह पॉसिबल नहीं है और इसीलिए हिंदू उसके पर्सपेक्टिव से यह पीस एग्रीमेंट के जगह पर एक कंप्रोमाइज ज्यादा था और इसीलिए वहां पर फिर भी कनफ्लिक्ट होते रहे इन फैक्ट कुछ छोटे-मोटे लीगल केसेस भी वहां पर लड़े गए। 

लेकिन देश की आजादी के बाद इस कनफ्लिक्ट में एक बड़ा टर्निंग पॉइंट आया 23 दिसम्बर 1949 को कुछ लोगों ने बाबरी मस्जिद के बीचों-बीच राम भगवान की मूर्ति स्थापित कर दी और अगले ही दिन से लोगों ने वहां पर पूजा करना भी शुरू कर दिया इससे दोनों पार्टी के बीच में वापस से एक मेजर कनफ्लिक्ट शुरू हो गया अब यह कनफ्लिक्ट इतना वायलेट था कि मजबूरन U.P गवर्नमेंट को उसे साइट को ही कंपलीटली सील करना पड़ गया और उसके बाद से राम जन्मभूमि में एंट्री सभी के लिए एकदम ban  हो गयी। 

अब यह ban दिसंबर 1949 में लगा ही था कि इसके 12 दिनों बाद यानी की 5 जनवरी 1950 में महंत रामचंद्र दास जी ने फैजाबाद कोर्ट में यह अपील करते हुए केस फाइल किया कि उनका राइट टू वरशिप यह फंडामेंटल राइट वायलेट हो रहा है अब यह केस कोर्ट में चल ही रहा था कि फिर 1959 में निर्मोही अखाड़ा जो कि हिंदू साधू उसका एक नेशनल ऑर्गेनाइजेशन है उन्होंने भी यह कहते हुए केस फाइल कर दिया कि अयोध्या की लैंड का पोजीशन उनको पूजा करने के लिए मिलना चाहिए। 

और फिर 1961 में उसे काउंटर करने के लिए मुस्लिम साइड से भी सुनी वक्त बोर्ड ने एक कोर्ट केस फाइल कर दिया उनका दावा यह था क्यों नहीं यह लैंड मिल जाना चाहिए क्योंकि मिल जाना चाहिए क्योंकि इस पूरे लैंड पर एक मस्जिद था तो वक्त बोर्ड ही उसे लैंड के ओरिजिनल ऑनर्स हुए ऑल इन ऑल इस मुद्दे को लेकर छोटे-मोटे केसेस तो चली रहे थे लेकिन मेजर्ली कोर्ट में अब दो हिंदू पक्ष थे और एक मुस्लिम पक्ष और दोनों साइट्स वहां पर अपने धार्मिक स्थल बनाना चाहते थे। 

और फिर इसी मतभेद में सालों बीत गए कोर्ट में लड़ाई चलती रही लेकिन कोई भी निर्णय नहीं हो पाया बट 1985 में इस केस में एंट्री हुई एक पावरफुल ऑर्गेनाइजेशन विश्व हिंदू परिषद की इन्होंने भी राम मंदिर के लिए फैसलाबाद कोर्ट में केस फाइल किया जिसके बाद फैजाबाद कोर्ट ने एक राम मंदिर से जुड़े सारे केसेस को एक साथ क्लब करके एक जॉइंट वर्डिक्ट इशू किया जिसके तहत 1986 में कोर्ट ने हिंदू उसको उसी जगह पर वरशिप करने की परमिशन दे दी अब कोर्ट के इस वर्टेक्स से नेचरली दूसरी साइड नाराज हो गई। 

और उस पर रिएक्ट करते हुए उन्होंने ग्रुप बाबरी एक्शन कमेटी बनाया इस ग्रुप ने कोर्ट के इस डिसीजन को चैलेंज किया और फिर से एक कोर्ट केस फाइल किया फिर इसी नए कोर्ट केस के रेतलिशन में 1989 में एक और एक हिंदू ऑर्गेनाइजेशन राम लला विराजमान ने भी केस फाइल किया तो अब तक हिंदू साइड में चार में पेटीशनर्स थे और मुस्लिम साइड में दो मुख्य पेटीशनर्स और यहां तक यह बैटल इंटेंसली कोर्ट में चली रहा था। 

पर 1990 की शुरुआत में यह बैटल कोर्ट से निकलकर अनफॉर्चूनेटली रास्तों पर आ गए सो हुआ कुछ यू 1990 में बड़े लीडर एलके आडवाणी जी ने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक एक रथ यात्रा निकाली इस यात्रा में देशभर से लाखों की संख्या में लोग जुड़ रहे थे अब ये रथ यात्रा अयोध्या पहुंचती उसके पहले ही वहां की सिचुएशन काफी ख़राब हो गई और इसी सिचुएशन को देखते हुए 1991 में UP गवर्नमेंट ने इस पूरे राम जन्मभूमि लैंड का कंट्रोल अपने हाथों में ले लिया और एरिया सील करवा दिया। 

तो  एक बार फिर से दूसरी बार इतिहास में बाबरी राम जन्मभूमि लैंड को सील करके वहां पर एंट्री बैन कर दिया गया बट इस बार इसका इंपैक्ट काफी खतरनाक होने वाला था तो इस बैन के बाद हुआ यू के 6 दिसंबर 1992 को देशभर से हजारों की संख्या में लोग अयोध्या राम जन्म भूमि में जमा हुए और उन्होंने बाबरी मस्जिद को ही डिमोलिश कर दिया यह बेसिकली गवर्नमेंट के एंट्री बैन का एक रिप्पल इफेक्ट था अब यह होते ही पूरे देश भर में जगह-जगह पर कम्युनल राइट्स होने लगे। 

और 1992 के इन फेमस मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट भी इसी का ही एक रिएक्शन था यह वही बम ब्लास्ट है जिसमें अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का मेजर हाथ था इसके बाद भी यह मुद्दा शांत नहीं हुआ आने वाले सालों तक ऐसे कई राइट्स पूरे देश भर में चलते रहे जिसमें 2002 के इन फेमस गोधरा राइट सबसे मेजर थे। अब बाबरी के डिमोलिशन के बाद देश की रूलिंग और अपोजिशन पार्टी ने दोनों साइड के बीच मेडिएशन करने की भी कोशिश की बट किसी भी साइड में कंप्रोमाइज नहीं करना चाहा। 

और वह सभी को शीशे नाकामयाब रही इसी दौरान यानी कि साल 2002 में फैजाबाद कोर्ट से राम जन्मभूमि केस को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के तीन बेंच जज ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफइंडिया को साइट को सर्वे करने के आर्डर दिए और उन्हें यह बात पता लगाने के लिए कहा कि क्या वहां पर वाकई में मंदिर था या फिर नहीं अब कुछ सालों के इन्वेस्टिगेशन के बाद एएसआई का सर्वे पूरा हुआ और उन्होंने अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दी। 

इसी असी रिपोर्ट को साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेफर करते हुए एक प्रॉमिनेंट verdict दिया कोर्ट ने कहा कि एएसआई के हिसाब से जो उन्हें वहां पर एविडेंस मिले हैं उसे यह निर्णय लिया जा सकता है कि उस जमीन पर वाकई में पहले राम मंदिर मौजूद था लेकिन यह मुद्दा यहां पर भी कोर्ट के डिसीजन के बाद खत्म नहीं हुआ अभी तो बल्कि शुरुआत थी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला लिया कि उस लैंड को तीन भाग में डिवाइड करेंगे। 

पहले लैंड पार्ट जहां पर भगवान राम की मूर्ति थी उसे राम लल्ला विराजमान को दिया गया दूसरा भाग यानी की सीता रसोई भंडारा और राम चबूतरा को निर्मोही अखाड़ा को दिया गया और बच्ची सारी जमीन सुननी वक्फ बोर्ड को दे दी गई पर एक बार फिर से कोई भी साइड हाई कोर्ट के ऑर्डर्स से खुश नहीं था और इसीलिए इस बार सारे पार्टी ने डायरेक्टली सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया में ही अपील कर दी और इसी मुकाम पर राम जन्मभूमि के पूरे इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट की एंट्री होती है। 

सुप्रीम कोर्ट के पास अपील जाते ही सबसे पहले तो उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के वर्डिक्ट को होल्ड पर डाल दिया बट कई सालों तक इस केस में कोई सुनवाई नहीं लेकिन फिर उसके बाद 2016 में एंट्री हुई देश के एक प्रॉमिनेंट लॉयर सुब्रमण्यम स्वामी जी की इन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के लिए केस फाइल कर दिया और उनके केस फाइल करते ही बस एक ही साल में सुप्रीम कोर्ट में 32 नए अपील्स फाइल हुए। 

और इस प्रेशर के वजह से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम जन्मभूमि केस पर डेफिनेटली 2019 से सुनवाई शुरू होगी और एक ही साल बाद फाइनली वह दिन आ गया 8 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई के लिए पांच जज की बेंच को पॉइंट किया। 

यह जजमेंट हिस्टोरिक होने वाला था क्योंकि न सिर्फ एक 500 साल पुरानी कैसे सॉल्व होने वाली थी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को सॉल्व करने के लिए एक यूनिक स्ट्रेटजी मोल्डिंग रिलीफ प्रिंसिपल का इस्तेमाल किया मोल्डिंग रिलीफ में बेसिकली कोट दोनों पार्टी से पूछता है क्यों उन्हें एक्जेक्टली क्या मिलने पर वह मानेंगे कि हां उन्हें जस्टिस मिला इस केस में भी यही हुआ सुप्रीम कोर्ट ने दोनों साइड को पूछा कि क्या मिलने पर वह इस मुद्दे को यहीं पर खत्म कर देंगे। 

इस पर दोनों साइड में अपने-अपने डिमांड सबमिट किया जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह कह दिया कि वह अब से ठीक 40 दिनों में यानी की 14th अक्टूबर को इस 500 सालों से चल रहे केस का फाइनल वर्डिक्ट दे देंगे अब आई नो आप सोच रहे होंगे कि आखिर वह ऐसी कौन से प्रूफ थे जिनके वजह से यह 500 साल पुराना कैसे सिर्फ 40 दिनों में ही खत्म हो गया विल यह प्रूफ अपेरेंटली इतने स्ट्रांग थे कि जज को भी अपना जजमेंट राम मंदिर के फेवर में ही देना पड़ा। 

अब इन प्रूफ को अच्छे से समझने के लिए आपको यह जानना होगा कि अयोध्या केस जीतने में एएसआई द्वारा प्रोड्यूस किए हुए एविडेंस का मेजर रोल था स स ई ने टोटल 533 एविडेंस सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रेजेंट किए थे अब हर एक पीस आफ एविडेंस को तो इस लेख में एक्सप्लेन करना पॉसिबल नहीं है बट एक्जेक्टली वह में कौन से एविडेंसथे जिनके वजह से आज अयोध्या में राम मंदिर बना। 

यह आपको इजीली समझने के लिए हम उन सारे एविडेंस को दो ब्रॉडर कैटिगरीज में डिवाइड करेंगे फर्स्ट, एक्सकैवेशन और सेकंड, लिटरेरी सोर्सेस अब सबसे पहले बात करते हैं एक्सकैवेशन की जिसके पांच मेजर प्रोफस को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या बॉडी के लिए प्रॉमिनेंट कंसीडर किया

प्रूफ नंबर 1 विष्णु हरि इनस्क्रिप्शन है विष्णु हरि इनस्क्रिप्शन स्टोन जो एएसआई को बाबरी मस्जिद के निचले ढांचे से मिला था इस इनस्क्रिप्शन स्टोन में टोटल 20 लाइंस में हिंदू वर्सेस लिखे हुए थे

जब ASI इसकी रीडिंग की तो इस इनस्क्रिप्शन के 19th लाइन में यह क्लीयरली मेंशन था कि यह मंदिर है उसे राजा का जिसने 10 सर वाले राक्षस को मारा था अब किसी को एक्सप्लेन करने की जरूरत नहीं है कि वह 10 सिरों वाला राक्षस कौन था और उसे मारने वाला राजा कौन था और इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रूफ को प्रॉमिनेंट कंसीडर किया

प्रूफ नंबर 2 हिंदू बेल इन Mosque- वहाँ पर एक घंटी मस्जिद  के पिलर में बंधी हुई थी शॉकिंग राइट यह उतना ही शॉकिंग थासुप्रीम कोर्ट के लिए भी जब ASI ने जज को यह बताया कि इस्लाम में आरती और उसमें उसे होने वाले बेल का कोई कॉन्सेप्ट ही नहीं है जबकि हिंदुइज्म में बेल काफी इंपॉर्टेंस रखता है और मोस्टली आपको हर मंदिर में दिखने मिल जाएगा तो इस प्रूफ को भी सुप्रीम कोर्ट को कंसीडर करना पड़ा

प्रूफ नंबर 3 पिलर्स विथ कलर्स स्कल्पचर- अब अगला प्रूफ कुछ  कलश था जो बाबरी के पिलर्स में बनाया हुआ थाऔर पूरे मस्जिद में ऐसे इन टोटल 12 पिलर्स थे जहां पर हिंदू देवी देवताओं के डिजाइंस और उनसे रिलेटेड स्कल्पचर्स मिले जिनका डायरेक्ट लिंक 11 सेंचुरी से 12 सेंचुरी के राम जन्मभूमि मंदिर से था

प्रूफ नंबर 4 मस्जिद डोम लोटस – सिर्फ फिलहाल ही नहीं बाबरी मस्जिद के मुख्या डोम के केंद्र में भी एक लोटस बना हुआ था अगेन यह आप जानते होंगे कि लोटस हिंदुइज्म में स्पिरिचुअल इनलाइटनमेंट से जोड़ा जाता है एवं गॉड इस लक्ष्मी भी लोटस पर ही वास करती है और भगवान विष्णु भी लोटस पर ही विश्राम करते हैं

प्रूफ नंबर 5 – पांचवा और एक ऐसा प्रूफ जिसको कोई भी आम इंसान आसानी से देखकर बता सकता था वह था बाबरी मस्जिद का मुख्य गेट जिस पर क्लीयरली श्री राम जन्मभूमि मंदिर लिखा हुआ था सो यह सब तो सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे हुए आर लॉजिकल एविडेंस थे जो खुदाई यह डिमोलिशन के बाद एएसआई को मिले थे

बट अब बात करते हैं लिटरेरी सोर्सेस की जिसके प्रोफस मोस्टली NON हिंदू सोर्सेस से लिए गए थे इन फैक्ट सुप्रीम कोर्ट ने खुद मुगल और ब्रिटिशर्स के ही स्क्रिप्चर्स को यहां पर कंसीडर करके डिसीजन लिया

प्रूफ नंबर 1 गुरु नानक जी की बायोग्राफी जन्म साखी इसमें गुरु नानक जी अपने शिष्य मर्दाना को बताते हैं कि जब साल 1500 में वह अयोध्या आए थे तब उन्होंने अयोध्या की सरयू नदी में नहाकर राम जन्मभूमि मंदिर में दर्शन किया था। 

प्रूफ नंबर 2 तुलसीदास जी की बुक तुलसी दोहा शतक तुलसीदास जी इसमें बताते हैं कि साल 1528 के गर्मी के मौसम में कुछ बाहर से आए फॉरेन इनवेडर्स ने अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर को तोड़कर वहां पर मस्जिद बनाया और इसी दौरान इनवेडर्स ने वहां के कई हिंदू को जान से मार डाला विच अगेन प्रूव्ड कि वहां पर मंदिर था। 

प्रूफ नंबर 3 फॉरेन ट्रैवलॉग कोर्ट में सिर्फ इंडियन लिटरेरी प्रूफ को ही कंसीडर नहीं किया गया सुप्रीम कोर्ट ने विलियम फ्रेंच और टिफिन थलर जैसे फॉरेन ट्रैवलर्स के ट्रैवल ब्लॉग्स यानी कि जैसे आज घूमते समय लोग ट्रैवल ब्लॉग्स रिकॉर्ड करते हैं वैसे ही पहले के ट्रैवल्स अपने ट्रैवलिंग के दौरान अपने ऑब्जरवेशन को बुक में लिखा करते थे। 

इन्हीं ट्रैवल्स में से एक थे ब्रिटिश ट्रैवलर विलियम फ्रेंच जिन्होंने अपनी बुक अर्ली ट्रैवल्स इन इंडिया 1583 से 1619 के बीच में लिखी है और जब वह 1608 में अपने अयोध्या विजिट के लिए गए तो उन्होंने यह मेंशन किया कि वह एक रामकोट नाम की जगह पर गए और तब उन्होंने देखा कि वहां पर रामचंद्र का महल हुआ करता था जिसके कुछअवशेष अभी भी बच्चे थे

विलियम फ्रेंच भी यह मेंशन करते हैं कि आज भी कुछ ब्राह्मण वहां पर परिक्रमा करते हैं और से कुछ इसी टाइप का मेंशन एक ऑस्ट्रिया ट्रैवलर टिफिन थाईलैंड ने भी अपने ट्रैवलॉग में किया है कि मुगल ने सरयू रिवर बैंक पर सिचुएटेड मंदिर को तोड़ा था जहां अभी भी हिंदू द्वारा पूजा पाठ किया जाता है। 

प्रूफ नंबर 4 ब्रिटिश गवर्नमेंट ऑफिशल डॉक्युमेंट ब्रिटिश रूल के टाइम एएसआई के फर्स्ट डायरेक्टर जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम ने अवध प्रोविंस के ऑफिशल डॉक्युमेंट में कहा है कि अयोध्या में जन्म स्थान वाले जगह पर एक बड़ा मंदिर हुआ करता था जिसके कॉलम्स use उसे करके बाबरी मस्जिद  बनाया गया है

एवं साल 1886 में फैजाबाद जिला के जज गवर्नर जी ए शामियार के पास एक कैसे आया जिसमें महेंद्र रघुवर दास जी ने उनसे ऑलरेडी पूजा हो रहे जगह पर मंदिर बनवाने की रिक्वेस्ट की इस रिक्वेस्ट पर जज शमी ने खुद पर्सनली वहां पर जाकर जांच की जी जांच के ऊपर उन्होंने ऑफीशियली लिखा भी है कि अनफॉर्चूनेटली मस्जिद हिंदू के सीक्रेट जगह पर बनाया गया अब बात करते हैं। 

प्रूफ नंबर 5 की मुगल बादशाह औरंगजेब की ग्रैंड डॉटर के द्वारा लिखा गया लेटर साल 1707 में औरंगजेब की ग्रैंड डॉटर ने मुस्लिम राजाओं को ऑर्डर दिया कि वह हिंदू के ऊपर एग्रेसिवली रिलिजियस टेक्स अप्लाई करें और उनकी मूर्ति पूजा को रोक कुछ उसे तरह से जैसे मुगल राजाओं ने तीन मेजर मंदिर जैसे अयोध्या का राम मंदिर काशी का विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के कृष्ण मंदिर को तोड़ा था इस लेटर के रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट को मुगल एरा के इस्लामी राइटर नासिर बहादुर की बुक सहिफा एक साल में मिला। 

इस तरह के टोटल 533 एविडेंस प्रोफस सुप्रीम कोर्ट को दिए गए जिसे कंसीडर करते हुए एट द एंड सुप्रीम कोर्ट ने वहां पर मंदिर बनाने के फेवर में डिसीजन दिया एवं एट प्रजेंट भी मंदिर बनने टाइम जब फाउंडेशन के लिए खुदाई की जा रही थी तो ऐसे टाइप के ढेरो आर्कियोलॉजिकल स्कल्पचर्स मिले हैं जो हिंदुइज्म से रिलेटेड है इनको अब सरकार अयोध्या में बनने वाले म्यूजियम में रखने वाली है। 

How RAM MANDIR was Made with 0 RUPEES | 0 रुपए में कैसे बना राम मंदिर?

अब यह 500 साल पुराना केस क्लोज ही हुआ था कि एक नई कंट्रोवर्सी आ गई जो ऐड प्रेजेंट राम मंदिर बना है इसको अब रूलिंग पार्टी के अपोजिशन वाले बेस्ट ऑफ मनी बता रहे हैं लेकिन यहां पर एक इंटरेस्टिंग पॉइंट है जो शायद वो मिस कर रहे हैं कि इस मंदिर को बनाने के पैसे ना तो लोगों से आए और ना ही सरकार से तो अब सवाल आता है कि फिर यह मंदिर बना किसके पैसे से?

 तो प्रॉमिनेंट हिंदी न्यूज़ आउटलेट अमर उजाला में पब्लिश एक रिपोर्ट के हिसाब से राम मंदिर बनाने का टोटल ऐस्टीमेटेड कॉस्ट पहले 900 करोड़ रखा गया था बट लोगों के थ्रू 3600 करो से भी ज्यादा का डोनेशन आ गया

जिसकी वजह से श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने अपने पैसे बड़े ही स्मार्टली तीन बैंक्स स्टेट बैंक आफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ़ बड़ौदा में इन्वेस्टमेंट के लिए रख दिया और फिर इन्हीं बैंक में रखे गए पैसों से जो इंटरेस्ट आया उसी ब्याज से यह पूरा मंदिर बना हुआ है और इसी वजह से ना यहां पर सरकार के पैसे use हुए हैं और ना ही डोनेशन के पैसे। 

Ram Mandir Ayodhya – राम मंदिर अयोध्या

बट आज जो भी अपोजिशन लीडर्स इसे वेस्ट आफ मनी बता रहे हैं असल में इस मंदिर से देश की इकोनॉमी में एक अच्छा खासा पैसा आने वाला है और आना शुरू भी हो चुका है राम मंदिर के वजह से अयोध्या में आज फाइव स्टार होटल जैसे ताज, रेडिसन आईटीसी ओपन हो रहे हैं। 

कनफेडरेशन आफ ऑल इंडियन ट्रेडर्स का एस्टीमेट है कि राम मंदिर के वजह से अयोध्या में एक लाख करोड़ का बिजनेस जनरेट होने वाला है तो आज इस मंदिर के कारण अयोध्या में एयरपोर्ट हाईवे स्टेशन कई महंगा प्रोजेक्ट्स भी बने जिससे उसे रीजन का ओवरऑल डेवलपमेंट हो रहा है। 

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