How To Be Fearless And Bold-निडर व साहसी कैसे बनें।   

 इसके बाद आप किसी चीज से नही डरोगे। How To Be Fearless And Bold   

आपने सुना ही होगा कि कामयाब इंसान अपने फैसले से दुनिया बदल देते हैं और नाकामयाब इंसान दुनिया के डर से अपना फैसला बदल लेते हैं। हर कोई कामयाबी पाना चाहता है और आगे बढ़ना चाहता है। लेकिन कामयाब होने के लिए हर इंसान को कुछ कर दिखाना होता है कुछ ऐसा करना होता है जिससे दुनिया उसे बाकी सबसे अलग माने। 

हर इंसान के अन्दर एक छुपी हुई खूबियाँ और शक्शियत होती है जिसका उसे खुद एहसास नही होता है जब तक वो किसी सिचुएशन में ना आये। उसे अपने अन्दर छुपे हुए हुनर या अपने अन्दर छुपी हुई शक्ति का पता नही चलता है जो इन्सान की personality एक एहम हिस्सा होता है जिसे वो अपनी सूझ- बुझ से खुद बनता है।

                                                         How To Be Fearless And Boldhow to be fearless and bold

चलिए आइये देखते है जब इन्सान किसी परस्थिति में पड़ता है तो उसके अन्दर कि पॉवर कैसे सिचुएशन को संभालती है और अपने व्यक्तित्व को कैसे दर्शाती है।

                                    How To Be Fearless And Bold

imagine कल्पना कीजिए एक लड़का था जिसका नाम रवि था। वो मेले में गुब्बारे बेचकर अपन गुजरा करता था।  रवि के पास बहुत सरे रंग के गुब्बारे थे। जब जब उसी बिक्री कम होने लगती तब वो हीलियम गैस से भरा एक गुब्बारा हवा में उदा देता, बच्चे जब उस उड़ते हुए गुब्बारे को देखते तो वैसा ही गुब्बारा लेने कि जिद करते।

फिर बच्चे उसके पास गुब्बारा खरीदने के लिय पहुँच जाते और उसकी बिक्री फिर शरू हो जाती थी। जब भी रवि की बिकरी कम होती वो उसे बढ़ने के लिए बल्लों उड़ने का येही तरीका अपनाता था। एक दिन रवि को महसूस हुआ कि कोई उसकी शर्ट को खींच रहा है। जब उसने पटल के देखा तो वहाँ एक बच्चा खड़ा था। 

बच्चे ने उससे पूछा कि अगर आप हवा में किसी black कलर के गुब्बारे को उड़ायें या उसे छोड़े तो क्या वो भी हवा में उड़ेगा। बच्चे के इस सवाल ने रवि के मन को छु लिया, बच्चे की तरफ देखकर उसने जवाब दिया कि बेटा गुब्बारा अपने रंग कि वजह से नही बल्कि उसके अन्दर भरी हुई चीज कि वजह से उड़ता है। 

Personality- ऐसे ही’ हमारे जीवन में भी येही नियम लागु होता है एहम चीज हमारी अंदरूनी शक्शियत है। हमारी अन्द्रिनी शक्शियत से जो हमारा नजरिया बनता है वही हमें ऊपर उठाता है। हमारी जनरेशन कि सबसे बड़ी खोज येही है कि इन्सान अपना नजरिया बदलकर अपनी जिंदिगीको बहतर बना सकता है। इससे हमारी व्यक्तित्व में ही कई बदलव आते हैं।

क्या व्यक्तित्व सिर्फ पढ़े लिखे लोगो में ही होता है? क्या व्यक्तित्व सिर्फ आमिर लोगो के लिए बना है? क्या हम अपने व्यक्तित्व को नेगेटिव से पॉजिटिव नही बना सकतें आइये इस चीज को हम आपको एक स्टोरी के जरिये से समझाते हैं और देखते हैं कि साचिए क्या है?  

How To Be Fearless And Bold-  सुबह का समय था बच्चो के स्कूल पहुँचने का टाइम स्कूल में पढने वाले दो स्टूडेंट अमन और मोहन यूनिफार्म पहने हुए और हस्ते हुए आपस में बात करते हुए अपने स्कूल जा रहे थे। फिर वो दोनों एक ऐसी रोड पर पहुंचे जहाँ से बहुत कम लोग आते जाते थे। उस रस्ते पर चलते-चलते अचानक वो दोनो रुक गये और डरते हुए अपने सामने कि और देखने लगे उनके सामने कुछ ही दुरी पर रास्ते में एक बन्दर बैठा हुआ था। 

और उनकी तरफ देख रहा था जैसे ही दोनों ने आगे बढ़ने कि कोशिश कि तो बन्दर गुर्राने लगा। बन्दर रस्ते से हटने के मूड में बिलकुल नही था। और फिर जब दोनो ने दोबारा बन्दर की तरफ देख तो वो फिर से उन पर गुर्राने लगा वो दोनों काफी डर गये और सोचने लगे कि वो स्कूल नही जा पाएंगे।  उस समय पर उनके अन्दर एक नेगेटिव व्यक्तित्व आया कि वो आज स्कूल नही जा पाएंगे और आज नही पढ़ पाएंगे। 

लेकिन यहाँ उनकी समस्या खत्म नहीं हुई, जब उन्होंने अपने left साइड देखा तो उन्हें दो लोग बातें करते हुए दिखाई दिये दोनों ने तुरंत उनको आवाज लगायी और मदद मांगी लेकिन मदद करने कि जगह उनमे से एक व्यक्ति बोला इतने बड़े होकर एक बन्दर से डरते हो आगे बढ़ो और सड़क के किनारे से निकल जाओ तो बन्दर कुछ नहीं कहेगा इतना कहकर दोनों लोग चले गये। इस बात पर गोर करिये कि दोनों लोगो ने अमन और मोहन को अपने डर से लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया लेकिन उन दोनों की सोच के ऊपर डर हावी था।

जो उन्हें आगे नही बढ़ने दे रहा था दोनों ने थोड़ी हिम्मत करके सड़क के किनारे से जाने का फैसला किया बन्दर उन पे बहुत तेज गुर्राया और दोनों फिर से रुक गये अब उनके आगे बन्दर और पीछे वापस जाने का रास्ता लेकिन उनकी मंजिल तो रस्ते के आगे थी लेकिन वो वापस सोचने लगा कि आगे जातें है तो बन्दर हमे नुकसान पहुँचायेगा और पीछे गये तो  स्कूल नही पहुच पायंगे वापस घर जाना पड़ेगा आखिर क्या फैसला लिया लिया जाये। 

अगर आप ऐसी सिचुएशन होते तो क्या फैसला लेते येही कि एक दिन स्कूल नही जायेंगे तो कुछ नही होगा। ‘जान है तो जहान है, आज वापस चले जायेंगे तो कोई नुक्सान नही होगा लेकिन क्या एक दिन वापस चले जाने से उनकी समस्या हल हो जाती। अगर हमारे व्यक्तित्व में कायरता है तो हम चले जायेंगे वपस और कायरो को आगे सफलता नही मिलती। इसलिए आइये देखते हैं कि दोनों ने क्या फेसला लिया कुछ देर सोचने के बाद अमन ने फैसला लिया कि वो वापस घर लोट जायेगा।

आगे बढ़ना और बन्दर का सामना करना उसके बसकी बात नहीं है ये सब सोचने में वो इतना व्यस्त हो गया कि उसे ध्यान ही नहीं रहा कि उसके आस-पास क्या बदलाव हुआ फैसला लेने के बाद जैसे ही उसने पीछे देखा तो हैरान रह गया और डर कि वजह से उसका शरीर कपने लगा उसे पता लगा कि उदित बहुत पहले ही वापस जा चूका है। साथ उसने देखा कि कुछ बन्दर अब आगे की ओर चल रहे है अब पीछे जाने का रास्ता भी बंद हो चूका था वो हर तरफ से फूस चूका था। 

और उसके दोस्त ने उसका साथ छोड़ दिया था उस दिन उसे पता चला कि जब तकलीफ में होते हैं तब दोस्त साथ नहीं देता और न ही सही सलहा देता है अब उसे जल्दी ही कुछ सोचना था उसके अन्दर से कुछ आवाज आने लगी जो उसे आगे बढ़ने और कुछ हिमत करने के लिए प्ररित कर रही थी। तभी अचानक उसके अन्दर का आत्म विश्वास जगा और अब तुरंत उसने अपने पास पड़े हुए पत्थर को उठाया और आगे तेजी से बन्दर कि ओर भागा। 

और अब बन्दर गुर्राने की जगह अपनी जान बचाकर भाग गया और एक एक पेड़ पर चढ़ गया। और अब मंजिल पर पहुचने का रास्ता खुल गया अमन तुरंत भगा और स्कूल पहुच गया उस दिन वो सफल हो चूका था और उसके आत्म विश्वास कि जीत हुई। और डर की हार। उस दिन उसे अपने अन्दर कि एक अद्भुत शक्ति का एहसास हुआ जिससे वो आगे किसी भी समस्या का सामना कर सकता है अगर वो उस दिन भाग जाता तो अपनी जिंदगी में वो हर problem से भागता ही रहता और  कभी अपने व्यक्तित्व को नहीं समझ पता। 

How To Be Fearless And Bold क्या आपका व्यक्तित्व बहिर्मुखी extrovert है या आप बहुत अनतर्मुखी है यानि introvert हैं हमारा व्यक्तित्व हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हमें इसे कैसा बनाना है। जैसे दो लोग राम और श्याम, श्याम बहुत होशियार था और राम का दिमाग खेल में ही था लेकिन राम खुले मन से हर बात बोल देता था। हर काम आगे आकर खुद करता था। 

और वहीँ श्याम बहुत ही शर्मीला और हर काम करने में शर्मा ता था श्याम कभी भी अपने विचारो को खुल कर नहीं बोल पता था हमेशा सबकी आवाज़ से दब जाता था लेकिन राम कभी भी अपने विचारों को बंद करके नहीं रखता था कभी भी किसी के फैसले से अपने विचार नहीं बदलता था एक दिन दोनों नोर्की के लिए एक इंटरव्यू देने गए जिसमे राम को रख लिया और श्याम को वापस भेज दिया। 

क्यूंकि राम ने अपने व्यक्तित्व और अपनी खुबिओं को इतने अच्छे से दर्शाया कि वहां के सभी लोग राम से प्रभावित वो गये मगर श्याम को नौकरी नहीं मिल पाई क्यूंकि वो अपने विचारों को खुल के नहीं दर्शा पाया पढाई में होशियार होने के बावजूद भी उसे नौकरी नहीं मिली। अगर वो अपने व्यक्तित्व को extrovert रखता तो उसे भी नौकरी मिल जाती।  अपना व्यक्तित्व बनाना हमारे हाथ में होता है। 

हमारे ऊपर निर्भर करता है हम उसे अच्छा बनायें या बुरा अगर अच्छा बनाएंगे तो हमेशा अपनी जिंदगी में आगे बढ़ पाएंगे और बुरा बनायेंगे तो आगे कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा तो अपने अन्दर कि खूबियों को पहचानो और उनका सही उपयोग करना हमारे व्यक्तित्व को उबरता है सकारात्मक सोच इंसान को हमेशा आगे बढ़ने का बढ़ावा देती है और नकारात्मक सोच हमेशा सबसे पीछे कर देती है।

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